प्रयागराज, बैंक खाते और आधार के फेर में 23 हजार से अधिक बच्चों को इस सत्र में यूनिफार्म नहीं मिल सकी है। डीबीटी (डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर) की समीक्षा के दौरान इसका पता चला है। कक्षा एक से आठ तक के छात्र- छात्राओं को यूनिफार्म, स्वेटर, बैग, जूता-मोजा और स्टेशनरी खरीदने के लिए प्रदेश सरकार हर साल प्रति विद्यार्थी 1200 रुपये धनराशि सीधे खाते में डीबीटी के माध्यम से भेजती है। 8326 बच्चों के अभिभावकों का बैंक खाता सीड (सत्यापित) नहीं होने के कारण उन्हें धनराशि नहीं मिल सकी है।
इसी प्रकार 14751 छात्र-छात्राएं ऐसे हैं जिनका आधार नहीं बन सका है। ग्रामीण क्षेत्र में यह समस्या अधिक है। तहसीलों में जन्म प्रमाणपत्र नहीं बनने के कारण अभिभावकों ने ग्राम प्रधान से प्रमाणपत्र बनवा लिया। उन प्रमाणपत्रों को जब आधार के लिए अपलोड किया गया तो भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) तो आवेदन निरस्त हो गए। इसका नतीजा है कि शैक्षणिक सत्र बीतने में
महज तीन महीने का समय बचा है और गरीब बच्चों को सरकारी सहायता नहीं मिल सकी है। किताबें तो स्कूल में निःशुल्क मिल गई लेकिन यूनिफार्म, स्वेटर, बैग, स्टेनशरी और जूते-मोजे न होने से समस्या हो रही है। संबंधित ब्लॉकों के शिक्षकों ने कई बैंकों के चक्कर लगाए लेकिन बैंक खातों का सत्यापन नहीं हो सका।
बीएसए ने एलडीएम, डाक अधीक्षक को लिखा पत्र
डीबीटी का रुपये बच्चों के खाते में नहीं पहुंचने पर बेसिक शिक्षा अधिकारी प्रवीण कुमार तिवारी ने लीड बैंक मैनेजर (एलडीएम) और प्रधान डाकघर के अधीक्षक को पत्र लिखा है। डाक अधीक्षक से अनुरोध किया है कि जिले के डाकघरों को प्राथमिकता के आधार पर बच्चों के आधार बनाने के लिए निर्देशित करें। वहीं एलडीएम को खातों की सूची भेजते हुए सत्यापन की प्रक्रिय जल्द पूरी करने का अनुरोध किया है ताकि सरकारी योजना का लाभ बच्चों को मिल सके।
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