उत्तर प्रदेश में पेंशन क्लेम नहीं कर सकेंगे अस्थायी कर्मचारी, नए अध्यादेश को मिली मंजूरी, जानिए सारे नियम – UpdateMarts| PRIMARY KA MASTER | SHIKSHAMITRA | Basic Shiksha News

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लखनऊ: उत्तर प्रदेश में जिन कर्मचारियों की नियुक्ति किसी नियमावली के तहत नहीं की गई है, अगर वो सीपीएफ या ईपीएफ के सदस्य भी हैं, तब भी उन्हें पेंशन का अधिकार नहीं मिलेगा। पेंशन के हकदार सिर्फ वही कर्मचारी होंगे, जिनकी नियुक्ति किसी स्थायी पद पर नियमानुसार हुई है। सरकार ने पेंशन पात्रता की स्थिति स्पष्ट करने के लिए उत्तर प्रदेश पेंशन की हकदारी और विधिमान्यकरण अध्यादेश, 2025 लागू किया है। राज्यपाल ने भी इसे मंजूरी दे दी है।

यूपी पेंशन अपडेट और योगी सरकार

इस कानून का प्रभाव 1 अप्रैल, 1961 से होगा। यानी, पिछले 64 साल में हुई हर नियुक्ति इसके दायरे में आएगी। राज्य सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक इस अध्यादेश के पीछे सबसे बड़ी वजह पहले पेंशन के लिए कर्मचारियों द्वारा किए गए मुकदमे हैं। पहले बड़ी संख्या में कर्मचारियों को नियुक्ति दे दी जाती थी। ऐसे कर्मचारी की सैलरी से पैसा सीपीएफ या ईपीएफ में भी कटता था। 60 वर्ष की आयु पूरी होने के बाद ऐसे कर्मचारी पेंशन की मांग करते थे, जिसे लेकर 7 हजार से अधिक मुकदमें चल रहे हैं।

पेंशन का लाभ देने की मांग

सरकारी विभागों और उनके अधीन संगठनों में कार्यरत कई कर्मचारियों द्वारा न्यायालयों में यह मांग की जा रही थी कि उन्हें भी नियमित कर्मचारियों की तरह पेंशन का लाभ दिया जाए। इस अध्यादेश के माध्यम से सरकार ने स्पष्ट किया है कि ऐसे मामलों में पेंशन नहीं दी जा सकती है।

अध्यादेश में यह भी प्रावधान किया गया है कि यदि किसी न्यायालय, ट्रिब्यूनल या प्राधिकरण ने पेंशन देने के खिलाफ कोई आदेश दिया गया है, तो वह भी इस अध्यादेश के तहत वैध माना जाएगा। सरकार का कहना है कि यह कदम प्रशासनिक स्पष्टता और वित्तीय अनुशासन सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है। साथ ही इस फैसले से न्यायालय में होने वाले मुकदमों में भी कमी आएगी।

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