नई दिल्ली, एजेंसी। उच्चतम न्यायालय ने कहा, एक महिला दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 125 के तहत अपने दूसरे पति से गुजारा भत्ता पाने की हकदार है, भले ही उसका पिछला विवाह कानूनी रूप से बरकरार हो।
न्यायमूर्ति बी.वी. नागरत्ना और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने कहा कि गुजारा भत्ता जैसे सामाजिक कल्याण प्रावधानों के उद्देश्य की व्यापक व्याख्या होनी चाहिए। मगर सख्त कानूनी व्याख्या के कारण मानवीय उद्देश्य प्रभावित नहीं होना चाहिए।
शीर्ष अदालत ने गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया : दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 125 की जगह 1 जुलाई, 2024 से प्रभावी हुई भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 144 ने ली है। शीर्ष अदालत ने दूसरे पति को अलग रह रही पत्नी को गुजारा भत्ता देने का आदेश देते हुए यह टिप्पणी की।
यह है मामला
न्यायालय एक महिला की याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जो 2005 में सहमति पत्र पर हस्ताक्षर करने के बाद पहले पति से अलग हो गई थी, हालांकि तलाक का कोई औपचारिक कानूनी आदेश प्राप्त नहीं हुआ था। इसके बाद महिला ने दूसरा विवाह कर लिया, जिसका हैदराबाद में पंजीकरण कराया। दूसरे पति से मतभेद होने के बाद उसने कोर्ट से गुजारा भत्ता दिलाने की मांग की थी।
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