मतदाता सूचियों में गड़बड़ी के आरोपों के बीच भारत के मुख्य निर्वाचन आयुक्त (सीईसी) ज्ञानेश कुमार ने स्वीडन में कहा कि ‘भारत में मतदाता सूची तैयार करना दुनिया के सबसे कठिन और पारदर्शी कार्यों में से एक है’। ‘चुनाव की सत्यनिष्ठा’ विषय पर स्टॉकहोम में आयोजित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए मंगलवार को उन्होंने ये बात कही।
मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि मतदाता सूची हर साल संशोधन के दौरान और चुनाव से पहले तय कानून के तहत मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय और राज्य दलों के साथ साझा की जाती है। भारत में चुनाव की सत्यनिष्ठा, पैमाने और विविधता पर प्रकाश डालते हुए, सीईसी कुमार ने अपने संबोधन में ‘दुनिया भर के देशों के चुनाव प्रबंधन निकायों (ईएमबी) के लिए क्षमता निर्माण कार्यक्रमों में भारत के निर्वाचन आयोग (ईसीआई) की भूमिका की पुष्टि की।
उन्होंने जोर देकर कहा कि ‘अत्यंत सत्यनिष्ठा के साथ चुनाव कराना हमारे राष्ट्रीय संकल्प का प्रमाण है। इस सम्मेलन का आयोजन स्टॉकहोम में अंतरराष्ट्रीय लोकतंत्र और चुनाव सहायता संस्थान (इंटरनेशनल आईडीईए) द्वारा किया जा रहा है। निर्वाचन आयोग द्वारा जारी बयान में कहा कि लगभग 50 देशों के चुनाव प्रबंधन निकायों (ईएमबी) का प्रतिनिधित्व करने वाले 100 से अधिक प्रतिभागी इस सम्मेलन में भाग ले रहे हैं।
सीईसी ज्ञानेश कुमार ने प्रतिभागियों को ईसीआई द्वारा किए जाने वाले चुनाव अभ्यास के बड़े पैमाने के बारे में भी बताया।
उन्होंने कहा कि जनरल, पुलिस और व्यय पर्यवेक्षक तथा मीडिया विभिन्न चरणों में समवर्ती लेखा परीक्षकों की तरह कार्य करते हैं।
चुनाव प्रक्रिया पर बारीकी से नजर : सीईसी कुमार ने अपने संबोधन में इस बात का उल्लेख किया कि पूरी चुनावी प्रक्रिया पर राजनीतिक दलों, उम्मीदवारों, पुलिस, व्यय पर्यवेक्षकों और मीडिया द्वारा बारीकी से नजर रखी जाती है।
उन्होंने कहा कि चुनाव के संचालन के समय मतदान कर्मचारियों, पुलिस बलों, पर्यवेक्षकों और राजनीतिक दलों के एजेंटों सहित दो करोड़ से से अधिक कर्मियों के साथ, निर्वाचन आयोग दुनिया का सबसे बड़ा संगठन बन जाता है, जो कई राष्ट्रीय सरकारों और प्रमुख वैश्विक निगमों के संयुक्त कार्यबल को पीछे छोड़ देता है और यह सुनिश्चित करता है कि भारत के लगभग एक अरब मतदाता स्वतंत्र रूप से अपने मताधिकार का इस्तेमाल करने में सक्षम हों।
वैश्विक मंच पर बोलते हुए सीईसी ज्ञानेश कुमार ने दशकों में भारतीय चुनावों के विकास का जिक्र करते हुए कहा कि कैसे प्रणाली संवैधानिक मूल्यों में निहित रहते हुए बढ़ती जटिलता के अनुकूल हो गई है। उन्होंने कहा कि जहां 1951-52 में 17.3 करोड़ से बढ़कर 2024 के लोकसभा चुनाव में भारत में मतदाताओं की संख्या 97.9 करोड़ हो गई। वर्ष 2024 के आम चुनावों में 743 राजनीतिक दलों ने भाग लिया, जिनमें छह राष्ट्रीय दल, 67 राज्य दल और अन्य पंजीकृत राजनीतिक दल शामिल थे।
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