लखनऊ। सुप्रीम कोर्ट द्वारा सभी शिक्षकों के लिए टीईटी अनिवार्य किए जाने के बाद शिक्षक संगठनों ने इससे राहत देने की मांग तेज कर दी है। अलग-अलग संगठनों ने बृहस्पतिवार को भी इसके लिए प्रधानमंत्री, शिक्षा मंत्री व स्थानीय जनप्रतिनिधियों के माध्यम से ज्ञापन भेजा।
विशिष्ट बीटीसी शिक्षक वेलफेयर एसोसिएशन की ओर से प्रधानमंत्री, शिक्षा मंत्री व प्रमुख सचिव स्कूल शिक्षा को इसके लिए पत्र भेजा गया। प्रदेश अध्यक्ष संतोष तिवारी ने पत्र लिखकर अभियान की शुरुआत की।
प्रदेश महासचिव दिलीप चौहान ने बताया कि राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद की अधिसूचना 23 अगस्त 2009 में कहा गया है कि शिक्षक को शिक्षण कार्य करने के लिए न्यूनतम योग्यता डिप्लोमा (बीटीसी या समकक्ष) या बीएड के साथ ही छह माह का विशिष्ट बीटीसी प्रशिक्षण होना अनिवार्य है।
वरिष्ठ उपाध्यक्ष शालिनी मिश्रा,
शिक्षकों की ओर से राहत देने की मांग हुई तेज
विधि सलाहकार आमोद श्रीवास्तव ने कहा कि प्रदेश भर से शिक्षक पत्र लिखकर प्रधानमंत्री, शिक्षा मंत्री व सचिव को इससे अवगत कराएंगे। साथ ही यह मांग करेंगे कि केंद्र सरकार इससे उच्चतम न्यायालय को अवगत कराए ताकि 23 अगस्त 2010 के पूर्व नियुक्त शिक्षकों में जो भ्रम की स्थिति पैदा हुई है, उससे राहत मिल सके।
दूसरी तरफ एक अन्य शिक्षक संगठन की ओर से बृहस्पतिवार से अपने जिले के जनप्रतिनिधियों के माध्यम से पीएम व शिक्षा मंत्री को ज्ञापन भेजने की शुरुआत की गई है। शिक्षक नेता सुशील कुमार पांडेय ने बताया कि 20 सितंबर तक यह अभियान चलेगा। गलत तथ्यों को सर्वोच्च न्यायालय में रखने से शिक्षकों के सामने यह समस्या पैदा हुई है। केंद्र सरकार शिक्षा के अधिकार अधिनियम में संशोधन कर शिक्षकों की सेवा को सुरक्षित करने का काम करे।
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