प्रयागराज । यूपी बोर्ड से सम्बद्ध प्रदेशभर के 27 हजार से अधिक स्कूलों को व्यावसायिक पाठ्यक्रमों के संचालन के लिए जिला विद्यालय निरीक्षक (डीआईओएस) के स्तर से अनुमति देने की तैयारी है। वर्तमान में स्कूलों को व्यावसायिक पाठ्यक्रमों या अतिरिक्त विषय के संचालन के लिए बोर्ड से मान्यता लेनी होती है। बदलाव के बाद स्कूलों को अलग से मान्यता लेने की आवश्यकता नहीं होगी। डीआईओएस को ऐसे स्कूलों की सूचना बोर्ड मुख्यालय को अनिवार्य रूप से भेजनी होगी।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 और राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा (एनसीएफ) 2023 की गाइडलाइन के अनुरूप नई व्यवस्था पर यूपी बोर्ड के स्तर से विचार किया जा रहा है। स्कूलों को ट्रेड विषयों के संचालन के लिए कोई शासकीय अनुदान नहीं मिलेगा। यानि स्कूलों को व्यावसायिक विषयों की पढ़ाई वित्तविहीन व्यवस्था के तहत करानी होगी।
व्यावसायिक शिक्षा के अंतर्गत विद्यार्थी कक्षा नौ व 10 में अध्ययन किए हुए व्यावसायिक विषयों में से ही कक्षा 11 व 12 में अध्ययन करेगा। व्यावसायिक शिक्षा की निरंतरता बनाए रखने के लिए ऐसे ट्रेड्स जो वर्तमान में केवल इंटर स्तर पर उपलब्ध हैं, उनके हाईस्कूल स्तर पर भी एकवर्षीय पाठ्यक्रम विकसित करने की योजना है।
● स्कूलों को अलग से मान्यता लेने की नहीं होगी आवश्यकता
● राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत बदलाव पर विचार कर रहा बोर्ड
50-50 अंकों की लिखित व प्रायोगिक परीक्षा का सुझाव
व्यावसायिक शिक्षा के सभी विषयों की समितियों ने 50 अंकों की लिखित और 50 अंकों की प्रयोगात्मक परीक्षा लेने का सुझाव दिया है। कृषि वर्ग के विषयों के पाठ्यक्रम को फिर से बनाया जाएगा। 11वीं में कृषि विषय की सैद्धांतिक परीक्षा 50 अंकों की, 50 अंकों की प्रयोगात्मक परीक्षा विद्यालय स्तर पर तथा 12वीं में बोर्ड की ओर से कराई जाएगी।
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