69 हजार शिक्षक भर्ती मामले में हाईकोर्ट के फैसले से 19 हजार अभ्यर्थियों को फायदा मिलेगा। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने नई चयन सूची बनाने का आदेश दिया है। इससे पूर्व में चयनित हुए अभ्यर्थियों को बाहर किया जाएगा। नाैकरी जाने पर वह भी कोर्ट का सहारा ले सकते हैं।
पांच दिसंबर 2018 में परीक्षा नियामक प्राधिकारी (पीएनपी) ने बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में 69 हजार सहायक अध्यापक की भर्ती का विज्ञापन जारी किया गया था। विज्ञापन के महीनेभर बाद ही पांच जनवरी 2019 में इसकी परीक्षा कराई गई। इसका परिणाम एक जून 2020 को जारी किया गया था। यह भर्ती शुरू से ही विवादित रही। परिणाम में आरक्षण का नियमानुसार पालन नहीं किया गया।
पिछड़ा और दलित वर्ग के अभ्यर्थियों ने परिणाम का विश्लेषण किया तो पता चला कि आरक्षण घोटाला हुआ है। इसकी शिकायत की गई, लेकिन सुनवाई न हुई। पीड़ित अभ्यर्थियों ने पिछड़ा दलित संयुक्त मोर्चा बनाया। आरक्षण घोटाले के खिलाफ प्रदेशभर में आंदोलन किया और हाईकोर्ट गए। संगठन के मीडिया प्रभारी राजेश चाैधरी ने बताया कि अफसरों ने पिछड़ा और दलित वर्ग के साथ अन्याय किया था।
आरक्षण के अनुसार 19 हजार पद पिछड़ा और दलित वर्ग के अभ्यर्थियों को मिलना था। इसकी जगह दूसरे वर्ग के अभ्यर्थियों को नाैकरी दी गई है। यह मामला पिछड़ा वर्ग आयोग में भी गया। वहां से मूल चयन सूची मांगी गई, लेकिन अफसरों ने उपलब्ध नहीं कराई। अब हाईकोर्ट ने आदेश दिया है कि नई चयन सूची बनाई जाए। उसमें आरक्षण का पालन हो। आरक्षण का पालन होने पर 19 हजार अभ्यर्थियों को फायदा मिलेगा।
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