लखनऊ। 69 हजार शिक्षक भर्ती में हाई कोर्ट के फैसले को लेकर अनारक्षित वर्ग के अचयनित अभ्यर्थियों में नाराजगी है। अभ्यर्थी इस फैसले को अब सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने जा रहे हैं। यह निर्णय अमीनाबाद स्थित झंडेवाला पार्क में सामान्य वर्ग मोर्चा के पदाधिकारियों की बैठक में लिया गया। इसमें प्रदेश अध्यक्ष धर्मेंद्र मित्र, महासचिव नितेश सिंह और प्रदेश प्रभारी हिमांशु दुबे व लीगल टीम के अन्य सदस्य मौजूद रहे। सभी ने हाई कोर्ट के आदेश को पढ़ने के बाद उसमें जो खामियां है उसको सुधार करने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने का फैसला किया।
प्रदेश अध्यक्ष धर्मेंद्र मिश्र ने बताया कि एनसीटी वर्सेस प्रदीप कुमार जो सबसे नवीनतम आदेश है उसमें दोहरा आरक्षण रोकने के लिए माननीय अपेक्स कोर्ट ने निर्देश दिए हैं जबकि माननीय हाईकोर्ट ने इस नवीनतम जजमेंट पर ध्यान नहीं दिया। इसलिए हम माननीय हाईकोर्ट के निर्णय को मॉडिफाई करने के लिए सुप्रीम कोर्ट जा रहे हैं। उन्होंने 1994 की आरक्षण नियमावली में रुल 3136 तो अभी हवाला दिया और कहा कि इस नियम को लागू करने में मतभेद है इसकी भी व्याख्या सुप्रीम कोर्ट ही करेगा। 1994 की आरक्षण नियमावली सिर्फ एक सीधी भर्ती में लागू होनी चाहिए। जिसकी एक ही परीक्षा होती है।
महासचिव नितेश सिंह और प्रदेश प्रभारी हिमांशु दुबे ने बताया कि वह हाई कोर्ट के फैसले से संतुष्ट नहीं है। एक ही भर्ती जो कई चरणों में होती है उसमें हर स्तर पर आरक्षण का लाभ देने से आरक्षण का दायरा बढ़ जाता है जिससे अनारक्षित अभ्यर्थियों के मौलिक अधिकारों का हनन होता है। उन्होंने बताया कि यह टिप्पणी माननीय हाई कोर्ट को सिंगल बेंच ने हमारे पक्ष में फैसला देते हुए की थी। इसलिए हमें पूरा अधिकार है कि हम इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज करेंगे। इनका कहना है कि सिंगल बेंच में हम लोगोंने यह केस जीता था जबकि डबल बेंच में इनके पक्ष में फैसला आया है। एक ही भर्ती में बार-बार आरक्षण का लाभ दिया जाएगा, जो कि हर स्तर पर भर्तियां हो रही हैं। इसमें आरक्षित वर्ग ज्यादा सलेक्ट होगा। वैसे भी 70 प्रतिशत से अधिक अभ्यधी चयनित हो चुके हैं।
अध्यक्ष धर्मेंद्र मिश्र ने कहा कि 19 हजार सीटों पर घोटाले की बात झूठी है। जबकि जनरल अभ्यर्थी कुल 19 हजार सीटों पर ही सलेक्ट हुआ है। सिंगल बेंच ने 6800 सीटों को कॉश कर दिया था। जो सरकार ओबीसी, एससी को सीटें दे रही थीं से अवैध थीं। उन्होंने कहा कि एटीआरई के जो 97 प्रतिशत से कम पाए है वी अनरिजर्व में न जाने पाएं। इनमें शिक्षमित्र, ओबीसी या एससी हों अपने गुणांक या भारांक के आधार पर जाएं। वहीं इस बार हाईकोर्ट की डबल बेंच ने ओवरलेपिंग की अनुमति पर अपनी मुहर लगा दी है। जिसे अभ्यर्थियों ने भ्रम का आर्डर बताया है।
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