एडेड स्कूलों में ऑनलाइन तबादलों की वहां के प्रबंधकों ने ही हवा निकाल दी है। कहा जाता है कि ज्यादातर प्रबंधकों ने ऑनलाइन ट्रांसफर की फाइल फॉरवर्ड ही नहीं की। नतीजा, तबादला प्रक्रिया सुलझने की बजाय और अधिक उलझ गई। यह स्थिति तब है जबकि प्रदेश में ऐडेड स्कूलों के शिक्षकों की संख्या करीब 57 हजार हैं, जिनमें से 1772 ने तबादले के लिए आवेदन किया था लेकिन मात्र 360 शिक्षकों के ही स्थानांतरण हो सके।
शिक्षक संगठन तबादले के लिए ऑफलाइन आवेदनों पर निर्णय करने की मांग कर रहे हैं। कुछ शिक्षकों ने इस प्रकरण को लेकर न्यायालय जाने की भी धमकी दी है। इससे एडेड में शिक्षकों के तबादले की पूरी प्रक्रिया ही मजाक बनकर रह गई। ऐसे में अब विभाग में ऑफलाइन तरीके से मामले को निस्तारित करने का रास्ता ढूंढा जा रहा है। जानकार बताते हैं प्रबन्धक की संस्तुति जरूरी है लिहाजा इसे दरकिनार कर एडेड विद्यालयों के शिक्षकों का तबादला लगभग असम्भव माना जाता है लेकिन जिस प्रकार से प्रबन्धकों ने मनमानी की, इससे अब विभाग को नया रास्ता निकालना ही होगा।
इस स्थिति के लिए विभाग को माना जा रहा जिम्मेदार
विभाग की ओर से पहले ऑफ लाइन तबादले के आदेश जारी किए गए थे। बीच में ही अचानक से विभाग की ओर से 14 जून को ऑनलाइन तबादले किए जाने के आदेश जारी कर दिए गए और कहा गया कि सिर्फ ऑनलाइन आवेदन ही स्वीकार किए जाएंगे।
स्थानांतरित शिक्षकों को ज्वाइन करना मुश्किल
जिन शिक्षकों के ऑनलाइन तबादले हुए हैं, उन्हें स्कूलों में ज्वाइन कराने में समस्याएं आ रही हैं। प्रबन्धकों का कहना है कि वे पहले ही तबादले के लिए ऑफलाइन संस्तुति कर चुके हैं, ऐसे में स्थानांतरित होकर आए शिक्षकों को कैसे ज्वाइन कराया जा सकता है।
शिक्षक संगठन अब आन्दोलन के मूड में
शिक्षक संगठन इस मुद्दे को लेकर आन्दोलन पर उतारू हैं। उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ ने तो माध्यमिक शिक्षा निदेशालय का घेराव करने तक की घोषणा कर दी है। माध्यमिक शिक्षक संघ के ही पाण्डेय गुट के प्रवक्ता ओम प्रकाश त्रिपाठी का कहना है कि शिक्षकों के तबादले में दोहरी व्यवस्था किसी भी रूप में ठीक नहीं है।
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