नई दिल्ली, । हर पांच में से चार भारतीय उच्च रक्तचाप, उच्च रक्त शर्करा, पेट की चर्बी, उच्च ट्राइग्लिसराइड और कम गुड कोलेस्ट्रॉल में से कम से कम एक बीमारी से ग्रसित हैं। इससे मेटाबॉलिक रिस्क यानी हृदय संबंधी रोग, टाइप 2 डायबिटीज, हाइपरटेंशनर, डिसलिपिडेमिया और स्ट्रोक का खतरा काफी बढ़ गया है।
मद्रास डायबिटीज रिसर्च फाउंडेशन और भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) द्वारा भारतीयों के खानपान को लेकर किए गए एक अध्ययन में यह बात सामने आई है। नेचर मेडिसिन शोध पत्रिका में प्रकाशित इस शोध में भारतीयों द्वारा रोजमर्रा के खानपान में चावल और मैदा के अत्यधिक सेवन यानी निम्न गुणवत्ता वाले कार्बोहाइड्रेट को इसका प्रमुख कारण माना गया है। रिपोर्ट के अनुसार, यह 62 प्रतिशत भारतीयों की दैनिक ऊर्जा जरूरत का स्त्रोत हैं, जबकि वसा की मात्रा 28 प्रतिशत और प्रटीन की मात्रा केवल 12 प्रतिशत है। 28.5 प्रतिशत लोग परिष्कृत यानी बिना छिलके वाले अनाज का सेवन करते हैं, जबकि केवल 16.2 प्रतिशत लोग ही पिसे हुए साबुत अनाज वाला भोजन लेते हैं।
भोजन में उच्च कार्बोहाइड्रेट और संतृप्त वसा का अधिक सेवन तथा प्रोटीन की कम मात्रा के चलते भारत मधुमेह का गढ़ बनता जा रहा है। दुनिया के कुल मधुमेह रोगियों के करीब 25 प्रतिशत भारत में हैं। इसके अलावा शारीरिक निष्क्रियता भी इसका बड़ा कारण हैं। अध्ययन में पाया गया कि देशभर में 61 प्रतिशत लोग शारीरिक रूप से निष्क्रिय हैं।
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