रिजर्व बैंक ने प्रमुख नीतिगत रेपो दर को 5.5 फीसदी पर बरकरार रखा है। बुधवार को घोषित द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा में इसका ऐलान किया गया। इसका मतलब है कि सभी तरह के कर्ज की किस्त में कोई बदलाव नहीं होगा।
केंद्रीय बैक ने लगातार दूसरी बार रेपो दर को 5.5 फीसदी पर यथावत रखा है। आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा XXने मौद्रिक समीक्षा समिति के फैसलों को जानकारी दी। उन्होंने संकेत दिए कि अगर अमेरिका द्वारा आयात शुल्क का कोई प्रभाव दिखाई देता है तो आने वाले महीनों में अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए रेपो दर में कटौती की जा सकती है। केंद्रीय बैक ने लगातार दूसरी बार रेपो दर को 5.5 फीसदी पर यथावत रखा है। इसके साथ ही जीडीपी अनुमान को 6.5% से बढ़ाकर 6.8% कर दिया है। खुदरा महंगाई का अनुमान घटाकर 2.6% किया है, जो पहले 3.1% था।
टैरिफ के बावजूद आर्थिक वृद्धि तेज होगी: आरबीआई गवर्नर ने कहा कि अमेरिका द्वारा भारत पर 50% शुल्क लगाने और एच1-बी वीजा से जुड़े मानदंडों को सख्त करने से व्यापार संबंधी अनिश्चितताएं बढ़ रही हैं। कमजोर बाहरी मांग के बावजूद, घरेलू मोर्चे पर समर्थन से वृद्धि की संभावना मजबूत है। अनुकूल मानसून, महंगाई दर में कमी, मौद्रिक नीति में नरमी और जीएसटी सुधारों के सकारात्मक प्रभाव से आर्थिक विकास को गति की उम्मीद है। मल्होत्रा ने कहा, मुद्रास्फीति में कमी ने दरों में कटौती की गुंजाइश बनाई, पर वैश्विक अनिश्चितताओं से यथास्थिति बनाए रखने का फैसला किया गया।
कर्ज की किस्त न चुकाने पर लॉक होगा मोबाइल : आरबीआई कर्ज चूक के बढ़ते मामलों को रोकने के लिए नया नियम लाने पर विचार कर रहा है। इसके तहत अगर किसी ने ईएमआई पर मोबाइल फोन लिया है और वह किस्त नहीं भरता है तो खरीदा गया उपकरण ऑनलाइन तरीके से लॉक हो जाएगा। किस्त भरने के बाद ही बैंक या वित्त संस्थान उसे अनलॉक करेगा। बुधवार को मौद्रिक समीक्षा समिति के फैसलों की जानकारी देते हुए आरबीआई गवर्नर ने बताया इस प्रस्ताव पर विचार किया जा रहा है। इसके फायदे और नुकसान पर विचार किया जा रहा है। ग्राहकों के अधिकारों व जरूरतों, निजी सूचना की गोपनीयता और कर्ज देने वालों की जरूरतों के बीच संतुलन बनाने के मामले में पक्षों के फायदे व नुकसान हैं, इसलिए हम इस सभी जरूरी मुद्दों पर गौर कर रहे हैं और बाद में इस पर कोई निर्णय लेंगे।
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