2010 से पहले नियुक्त शिक्षकों पर नहीं लागू होगी टीईटी, सुप्रीम कोर्ट में सरकार ने रखा अपना पक्ष कही यह बात – UpdateMarts| PRIMARY KA MASTER | SHIKSHAMITRA | Basic Shiksha News

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Teacher TET Big Update: सुप्रीम कोर्ट में तमिलनाडु सरकार की पुनर्विचार याचिका  

देशभर के शिक्षकों के लिए बड़ा झटका देने वाले फैसले के खिलाफ तमिलनाडु सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंची है। सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में आदेश दिया था कि जिन शिक्षकों की सेवा अवधि में 5 वर्ष से अधिक का समय शेष है, उन्हें दो साल के भीतर शिक्षक पात्रता परीक्षा (TET) पास करना अनिवार्य होगा। इसी आदेश पर सवाल उठाते हुए राज्य सरकार ने पुनर्विचार याचिका दाखिल की है।  

### पुराने शिक्षकों पर भी लागू कर दी टीईटी  

तमिलनाडु सरकार का तर्क है कि सुप्रीम कोर्ट ने यह शर्त 2010 से पहले नियुक्त शिक्षकों पर भी अनुचित रूप से लागू कर दी है। सरकार का कहना है कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम की धारा 23(1) केवल भविष्य की नियुक्तियों से जुड़ा प्रावधान है, जबकि धारा 23(2) केंद्र को प्रशिक्षित शिक्षकों की कमी के चलते अस्थायी छूट देने का अधिकार देती है। ऐसे में पांच साल के भीतर योग्यता प्राप्त करने का प्रावधान केवल उन्हीं पर लागू होना चाहिए, जिन्हें छूट की अवधि में नियुक्त किया गया हो, पहले से कार्यरत शिक्षकों पर नहीं।  

### शिक्षा व्यवस्था पर संभावित असर  

याचिका में तमिलनाडु सरकार ने आंकड़े प्रस्तुत करते हुए बताया कि राज्य के सरकारी स्कूलों में इस समय 4,49,850 शिक्षक कार्यरत हैं, जिनमें से 3,90,458 अभी तक टीईटी पास नहीं हैं। यदि सभी पर यह शर्त लागू कर दी जाती है, तो लाखों बच्चों की पढ़ाई बाधित होगी और पूरी शिक्षा व्यवस्था अस्त-व्यस्त हो जाएगी। सरकार का कहना है कि यह शिक्षा का अधिकार अधिनियम के उद्देश्य का उल्लंघन भी होगा।  

### पुराने शिक्षकों पर टीईटी की बाध्यता अनुचित  

राज्य का मानना है कि शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने का उद्देश्य सही है, लेकिन पहले से नियुक्त शिक्षकों को अचानक टीईटी की अनिवार्यता में लाना गलत है। इसके स्थान पर *इन-सर्विस ट्रेनिंग, डिप्लोमा कोर्स* या *ब्रिजिंग प्रोग्राम* जैसे विकल्प लागू किए जाएं ताकि शिक्षकों की आजीविका भी सुरक्षित रहे और बच्चों की पढ़ाई भी प्रभावित न हो।  

### सुप्रीम कोर्ट से सरकार की मांग  

याचिका में स्पष्ट किया गया है कि टीईटी पास करने की बाध्यता केवल 1 अप्रैल 2010 के बाद नियुक्त शिक्षकों पर ही लागू होनी चाहिए। पुराने शिक्षकों को इसके दायरे में लाना उचित नहीं होगा और इससे शिक्षा व्यवस्था पर गहरा संकट आ जाएगा। अब सुप्रीम कोर्ट इस पुनर्विचार याचिका पर क्या निर्णय लेता है, इसका असर सीधे तौर पर देशभर के लगभग 98 लाख शिक्षकों पर पड़ेगा।  

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