शाहजहांपुर: जिले के परिषदीय विद्यालयों में शौचालयों की हालत बेहद खराब पाई गई है। तीन महीने पहले कंपोजिट ग्रांट जारी कर विद्यालयों को मरम्मत कराने के निर्देश दिए गए थे, लेकिन अधिकांश जगह इसका उपयोग नहीं हुआ। हालात यह हैं कि कई स्कूलों में शौचालयों के दरवाजे गायब हैं और सीटें टूट चुकी हैं। गंदगी और अस्वच्छ माहौल के कारण बच्चे शौचालयों में जाने से बचते हैं, जिससे बीमारियों का खतरा बढ़ गया है।
जिले की स्थिति
जिले में बेसिक शिक्षा परिषद के करीब 2700 विद्यालय हैं। हर स्कूल में शौचालय बने जरूर हैं, लेकिन उनकी देखरेख न होने से स्थिति दयनीय है।
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शहर के स्कूलों में अधिकारी निरीक्षण के भय से सफाई कराई जाती है।
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गांवों के स्कूलों के शौचालय लंबे समय से गंदगी से भरे और टूटे-फूटे हैं।
जलालाबाद क्षेत्र
ककराला के उच्च प्राथमिक विद्यालय के बालकों का शौचालय पूरी तरह जर्जर हो चुका है। दरवाजे व सीट दोनों टूटे पाए गए। प्रधानाध्यापक ने बताया कि मजबूरी में बच्चे नए बने एकमात्र शौचालय का ही उपयोग कर रहे हैं, जिससे 350 विद्यार्थियों को संभालना कठिन हो रहा है।
इसी तरह बझेड़ा, ततियारी और नूरपुर करही के उच्च प्राथमिक विद्यालयों में टूटी सीटों और दरवाजों के कारण शौचालय प्रयोग नहीं किए जा रहे। भरथौली व मगटोरा स्कूलों में सफाईकर्मी अनियमित आते हैं, जिसके चलते शौचालय गंदगी से भरे रहते हैं।
कांट क्षेत्र
यहाँ के संविलियन विद्यालय पट्टी पूर्वी में स्थिति और खराब है। शौचालय के बाहर ग्रामीणों ने जानवर बांधना शुरू कर दिए हैं। अंदरूनी सीटें टूटी हुई और चारों ओर गंदगी का अंबार है। बच्चों को मजबूरन बाहर ही भटकना पड़ता है।
तिलहर क्षेत्र
कंपोजिट स्कूल बिरियागंज के शौचालय गंदगी से भरे मिले। यूरिनल की सफाई नहीं होने की वजह से बुरी दुर्गंध फैल रही है। यहाँ शौचालयों के दरवाजे तक टूटे हैं और सुधार की कोई पहल नहीं की गई है।
बीएसए का बयान
बेसिक शिक्षा अधिकारी दिव्या गुप्ता ने कहा, “कंपोजिट ग्रांट का 10% हिस्सा स्वच्छता पर खर्च करने का निर्देश है। यदि किसी विद्यालय में शौचालय ठीक नहीं कराए गए तो संबंधित जिम्मेदार के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।”
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