लखनऊ। परिषदीय विद्यालयों में शिक्षकों की कमी का असर नए पंजीकरण पर पड़ रहा है। राजधानी में 70 फीसदी से अधिक स्कूलों में शिक्षकों के पद खाली हैं। कई ऐसे स्कूल हैं, जहां दूसरे विद्यालय में कार्यरत शिक्षामित्र को पढ़ाने की जिम्मेदारी दी गई है।
शिक्षकों की कमी की वजह से हाड़ाइन खेड़ा और गंगादीन खेड़ा – परिषदीय विद्यालय में अभिभावक अपने – बच्चों का प्रवेश कराने में भी कतरा रहे हैं। बेसिक विद्यालय हाड़ाइन खेड़ा में 50 – के करीब छात्र-छात्राएं पंजीकृत हैं। यह स्कूल बिना शिक्षक के है। प्राथमिक विद्यालय अमौसी में कार्यरत शिक्षामित्र को बच्चों को पढ़ाने की जिम्मेदारी दी गई है। शिक्षामित्र के अनुसार, विद्यालय में नियमित शिक्षक न होने से अभिभावक अपने बच्चों का नामांकन नहीं कराना चाहते हैं।
गंगादीनखेड़ा स्कूल की स्थिति इससे भी खराब है। जर्जर विद्यालय को तोड़ दिया गया है और यहां पंजीकृत बच्चों को मक्काखेड़ा स्कूल में पढ़ाया जा रहा है। यहां पहले से ही एक कमरे में सभी बच्चों को पढ़ाया जाता रहा है। अब दूसरे
विद्यालय के बच्चों को भी इसी कमरे में पढ़ाने के लिए कहा गया है। दोनों स्कूलों को मिलाकर करीब 50 बच्चों को पढ़ाने की जिम्मेदारी एक शिक्षामित्र पर है। उत्तर प्रदेशीय माध्यमिक शिक्षक संघ के
जिला कोषाध्यक्ष हरिशंकर राठौर ने बताया कि जिले में लंबे समय से शिक्षकों की कमी है। 15 साल से यहां पदोन्नति नहीं हुई। विभाग की ओर से शिक्षकों का समायोजन हो तो विद्यालयों में शिक्षकों की कमी दूर होगी। बीएसए रामप्रवेश ने बताया कि शिक्षकों की कमी और समायोजन की जानकारी शासन को दे दी गई है। शासन स्तर पर जारी फैसले के आधार पर कार्य किया जाएगा।
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