नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि मौलिक अधिकार थाली में परोसकर नहीं मिलते, इसके साथ कर्तव्य और जिम्मेदारियां भी जुड़ी हैं। अदालत ने रणवीर इलाहाबादिया को शालीनता और नैतिकता के मानकों को बनाए रखने की शर्त पर अपना पॉडकास्ट ‘द रणवीर शो’ दोबारा शुरू करने की अनुमति भी दे दी।
जस्टिस सूर्यकांत और एन. कोटिस्वर सिंह की पीठ ने इस बात को ध्यान में रखते हुए इलाहाबादिया को शो शुरू करने की अनुमति दी क्योंकि, उनके शो के प्रसारण पर करीब 280 कर्मचारियों की आजीविका निर्भर है। सुनवाई के दौरान जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि हम जानते हैं कि कुछ लोग अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर लेख लिख रहे हैं। हम यह भी जानते हैं कि उनसे कैसे निपटना है। पीठ ने कहा कि देश में सिर्फ मौलिक अधिकार ही नहीं उसके बाद कर्तव्य भी आता है। जब तक वे लोग कर्तव्य को नहीं समझते, तब तक इस तरह के तत्वों से निपटना संभव नहीं है। अगर कोई मौलिक अधिकारों का आनंद लेना चाहता है, तो यह देश आनंद लेने की गारंटी देता है, लेकिन गारंटी के साथ कर्तव्य भी जुड़ा होता है, इसलिए उस कर्तव्य का पालन करना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को ऑनलाइन मीडिया में अश्लील सामग्री विनियमित करने के लिए एक तंत्र बनाने को विचार-विमर्श करने का निर्देश दिया।
आजकल के युवा ‘होशियार’
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आजकल के युवा बहुत होशियार हो रहे हैं, उन्हें लगता है कि हम शायद पुरानी पीढ़ी के हैं। पीठ ने कहा कि इस मामले के आरोपियों में से एक कनाडा गया है और वहां पर इस मामले पर टिप्पणी की, उन्हें इस बात का पता नहीं कि इस अदालत को किस तरह का अधिकार प्राप्त है और हम क्या कार्रवाई कर सकते हैं? हम ऐसा कुछ नहीं चाहते क्योंकि वे युवा हैं, हम समझते हैं।
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