सिर पर आया सत्र तो खोजे जाने लगे पिछले सवालों के जवाब

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 लखनऊ। बेसिक शिक्षा विभाग के हाल अजीब हैं। दिसंबर में हुए विधानमंडल के सत्र में निशुल्क पाठ्य पुस्तकों के वितरण व इसमें गड़बड़ी को लेकर विधान परिषद में सवाल उठा। सदन में आश्वासन भी दिया कि इस मामले की पूरे प्रदेश में जांच कराई जाएगी।

किंतु अब जब 18 फरवरी से बजट सत्र शुरू होने वाला है तो विभाग ने जिलों से निशुल्क पाठ्य पुस्तक वितरण से जुड़ी जानकारी जुटानी शुरू की है। बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से परिषदीय विद्यालयों में पढ़ने वाले कक्षा एक से आठ के बच्चों को निशुल्क किताबें उपलब्ध कराई जाती हैं। पिछले दिनों सिद्धार्थनगर के बांसी में इन किताबों को कबाड़ में बेचने का मामला संज्ञान में आया था। दिसंबर में हुए सत्र में एमएलसी ध्रुव त्रिपाठी ने इसका मामला उठाते हुए निशुल्क

किताबों के वितरण की व्यवस्था सुनिश्चित कराने व हर जिले से इसकी लेने की बात कही थी।

विधानमंडल सत्र समाप्त होने के बाद इस पर आगे की कार्यवाही नहीं हुई। अब जब 18 फरवरी से बजट सत्र शुरू होना है तो इसकी जानकारी जुटाने की कवायद शुरू हुई है।

पाठ्यपुस्तक अधिकारी माधव जी तिवारी ने सभी बीएसए को पत्र भेजकर सत्र 2024-25 में कक्षा एक से आठ तक की निशुल्क पाठ्यपुस्तकों, कार्य पुस्तिका की संख्या, उनकी आपूर्ति, जिलों में आपूर्ति होने की अंतिम तिथि, छात्र-छात्राओं को दी गई किताबों की संख्या व उसके अंतिम वितरण की जानकारी मांगी है।

बेसिक शिक्षा : सिर पर आया सत्र तो खोजे जाने लगे पिछले सवालों के जवाब

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