लखनऊ। आधार कार्ड को वोटर आईडी से जोड़ना आसान नहीं है। चुनावी व्यवस्था पर जनता का भरोसा कायम रखने के लिए इसका फूलप्रूफ बंदोबस्त करना होगा। आधार कार्ड की डुप्लेकेसी से इसका दुरुपयोग होने की आशंका बनी रहेगी। चुनाव आयोग की हर वोट वैध होने की मंशा पर डुप्लीकेसी पानी फेर सकता है।
आयोग को यह भी देखना होगा कि साइबर अपराधियों से इसे कैसे बचाया जाए। आधार कार्ड का पूरा डाटा चुनाव आयोग को उपलब्ध कराने के बाद सुरक्षित रखना भी बड़ी चुनौती बन सकता है। आयोग को इसके लिए सुरक्षित प्रणाली विकसित करनी होगी। राजनीतिक दल इसे लोगों की निजता के हनन से भी जोड़ते रहे हैं। यही
नहीं, आधार को वोटर आईडी से लिंक करने पर बड़ी संख्या में वोटरों के नाम मतदाता सूची से गायब होने की आशंका भी जताते रहे हैं। आधार के डाटाबेस में कमियां भी रोड़ा बन सकती हैं। इसका डाटा लीक होने से राजनीतिक दलों द्वारा गलत इस्तेमाल का खतरा भी बना रहेगा।
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