(स्पष्ट आवाज)। बेसिक शिक्षा परिषद में लंबे समय तक शिक्षकों के वास्तविक हितैषी रहे तेज-तर्रार शिक्षक नेता अभिमन्यु तिवारी के सेवा निवृत्त होने के बाद शिक्षक संगठनों की साख पर सवाल खड़े हो गए हैं। `शिक्षकों का आरोप है कि अब संगठन समस्याओं का समाधान करने के बजाय चंदा वसूली के धंधे में व्यस्त हैं।`
_सूत्रों के अनुसार, विशिष्ट बीटीसी संगठन ने पुरानी पेंशन बहाली की लड़ाई के नाम पर वर्ष 2004 के शिक्षकों से दो-दो हजार रुपये लेकर बैंक खातों में जमा करा लिए। लेकिन इसके बाद संगठन पूरी तरह चुप्पी साध गया। शिक्षकों का कहना है कि पेंशन बहाली का यह वादा केवल लॉलीपॉप साबित हुआ और उनकी मेहनत की गाढ़ी कमाई डूब गई।_
*यही नहीं, सुप्रीम कोर्ट में टीईटी परीक्षा संबंधी आदेश को आधार बनाकर भी ब्लॉक स्तर पर चंदा वसूली की गई। ब्लॉक से लेकर जिला और प्रदेश स्तर तक शिक्षक संगठनों ने लाखों रुपये जुटाए। मगर उसके बाद शिक्षकों को कोई राहत नहीं मिली। आरोप है कि चंदे से जुटाई गई रकम से संगठन के बड़े नेताओं ने सिर्फ मौज-मस्ती और व्यक्तिगत हित साधने का काम किया।*
`वहीं, सम्मानित शिक्षक नेता रहे अभिमन्यु तिवारी का संगठन बिना चंदा वसूले ही सुप्रीम कोर्ट में आवेदन दायर करता रहा और शिक्षकों के वास्तविक हितों की रक्षा करता रहा। लेकिन मौजूदा संगठन केवल शिक्षक समाज को झूठे सपने दिखाकर वसूली में लगे हुए हैं।`
*शिक्षक समाज में गुस्सा है कि जिन संगठनों पर भरोसा कर उन्होंने अपना पसीना बहाया, वही अब उन्हें चंदा स्कैम का शिकार बना रहे हैं। शिक्षकों का कहना है कि यदि इस तरह की फर्जीवाड़े पर रोक नहीं लगी तो आगे भी संगठन पेंशन, परीक्षा और आंदोलन के नाम पर लूट-खसोट करते रहेंगे। वैसे तो यह दोनों संगठन प्रदेश सरकार से अपनी ताकत दिखाकर शिक्षक हित में कुछ कार्य कराए जाने से कोसों दूर हैं।*
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